Shayari by Gulzar : गुलज़ार साहब शायरी

Shayari by Gulzar : गुलज़ार शायरी

सम्पूर्ण सिंह कालरा, जिन्हें उनके कलम नाम गुलज़ार और गुलज़ार साब के नाम से भी जाना जाता है, एक ऑस्कर विजेता भारतीय फिल्म निर्देशक, गीतकार और कवि हैं | उन्होंने अपने करियर की शुरुआत फिल्म निर्देशक के रूप में संगीत निर्देशक सचिन देव बर्मन के साथ फिल्म बंदिनी से की थी |

गुलज़ार मुख्य रूप से उर्दू और पंजाबी में लिखते हैं। उनकी कविता त्रिवेणी प्रकार के छंद में है। उनकी कविताएँ तीन संकलन में प्रकाशित हुई हैं; चांद पुखराज का, रात पशमिनी का और पंडरा पञ्च पच्टर। उनकी लघु कथाएँ रावी-प्रहार और धुआन में प्रकाशित होती हैं | Gulzar  Love, Romantic And Sad Hindi  Poetry.

गुलज़ार साहब की शायरी ग़ज़ल 


Shayari by Gulzar on Zindagi
Shayari by Gulzar
Shayari by Gulzar

खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं,
हवा चले न चले दिन पलटते रहते है|
Shayari by Gulzar Sahab
Shayari by Gulzar
Shayari by Gulzar
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते|
तुम्हारी ख़ुश्क सी आँखें भली नहीं लगतीं
वो सारी चीज़ें जो तुम को रुलाएँ, भेजी हैं
आइना देख कर तसल्ली हुई,
हम को इस घर में जानता है कोई|

Shayari by Gulzar in Hindi
Shayari by Gulzar
Shayari by Gulzar

रात को दे दो चाँदनी की रिदा
दिन की चादर अभी उतारी है|
कल का हर वाक़िआ' तुम्हारा था
आज की दास्ताँ हमारी है|
लोग कहते हैं मेरी आँखें मेरी माँ सी हैं
यूं तो लबरेज़ हैं पानी से मगर प्यासी हैं|
Shayari by Gulzar on Life
Shayari by Gulzar
Shayari by Gulzar

तुझे पहचानूंगा कैसे? तुझे देखा ही नहीं
ढूँढा करता हूं तुम्हें अपने चेहरे में ही कहीं
जब भी ये दिल उदास होता है,
जाने कौन आस-पास होता है|
हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में,
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया|
Shayari by Gulzar on Love
Shayari by Gulzar
Shayari by Gulzar
जिस की आंखों में कटी थीं सदियां
उस ने सदियों की जुदाई दी है|
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में|
शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है|

Shayari by Gulzar Sahab
Shayari by Gulzar
Shayari by Gulzar
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था,
आज की दास्ताँ हमारी है|
वो उम्र कम कर रहा था मेरी,
मैं साल अपने बढ़ा रहा था|
सुनो….ज़रा रास्ता तो बताना,
मोहब्बत के सफ़र से, वापसी है मेरी..!

Shayari by Gulzar on Love
Shayari by Gulzar
Shayari by Gulzar

आज हर ख़ामोशी को मिटा देने का मन है,
जो भी छिपा रखा है मन में लूटा देने का मन है..!
वक़्त रहता नहीं कहीं थमकर
इस की आदत भी आदमी सी है 
आप के बाद हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है. 
Shayari by Gulzar in Hindi
Shayari by Gulzar
Shayari by Gulzar


कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आंख में हम को भी इंतिज़ार दिखे|
जाने किस जल्दी में थी जन्म दिया, दौड़ गयी
क्या खुदा देख लिया था कि मुझे छोड़ गयी
यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता|

Shayari by Gulzar on Zindagi
Shayari by Gulzar
Shayari by Gulzar
आ रही है जो चाप क़दमों की,
खिल रहे हैं कहीं कँवल शायद|
बताऊँ कैसे वो बहता दरिया जब आ रहा था तो जा रहा था,
धुआँ धुआँ हो गई थी आँखें चराग़ को जब बुझा रहा था|
वो ख़त के पुर्ज़े उड़ा रहा था  ख़त का रुख़ दिखा रहा था
कुछ और भी हो गया नुमायाँ मैं अपना लिक्खा मिटा रहा था
Shayari by Gulzar in Urdu
Shayari by Gulzar
Shayari by Gulzar
उसी का ईमाँ बदल गया है कभी जो मेरा ख़ुदा रहा था,
वो एक दिन एक अजनबी को मेरी कहानी सुना रहा था|
मुंडेर से झुक के चाँद कल भी पड़ोसियों को जगा रहा था,
ख़ुदा की शायद रज़ा हो इसमें तुम्हारा जो फ़ैसला रहा था|
आँखों से आँसुओं के मरासिम पुराने हैं,
मेहमाँ ये घर में आएँ तो चुभता नहीं धुआँ|

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